एक छोटे से गांव के पास में एक महात्मा रहते थे और उनके साथ एक उनका शिष्य भी रहता था। महात्मा बहुत दूर-दूर के गांव और शहरों में सबकी परेशानी के समाधान के लिए प्रसिद्ध थे। सभी महात्मा के पास अपनी समस्याओं को लेकर आते थे। एक दिन शहर से दो हट्टे-कट्टे नौजवान उनके पास आए। महात्मा ने देखा कि वह बहुत ही निराश दिख रहे थे। उन्होंने उन दोनों नौजवानों को अपनी कुटिया में आकर बैठने के लिए कहा। अंदर आते ही एक नौजवान बोला महात्मा जी हमने सुना है कि आप हर समस्या का समाधान जानते हैं और आपके पास जो भी समस्या लेकर आता है उसे आप खाली हाथ नहीं लौटाते। हम भी आपके पास बहुत उम्मीद लेकर आए हैं।
महात्मा उन्हें हाथ दिखाकर शांत होने का इशारा करते हैं और अपनी समस्या बताने के लिए कहते हैं। तब एक नौजवान बोल पड़ता है महात्मा जी बात ऐसी है कि हम लोग जिस शहर में रहते हैं वहां के इलाके में बहुत अफरा-तफरी का माहौल है। वहां आवारा लोग आकर बस गए हैं जो सड़क पर गुजरते हुए लोगों से बदतमीजी करते हैं और आते जाते लोगों को गालियां भी देते हैं। कभी-कभी तो हाथापाई भी करते हैं। आप ही बताइए कि ऐसे समाज में कौन रहना चाहेगा। दोनों नौजवानों की बात सुनकर महात्मा जी चारपाई से उठे। यह समस्या बहुत गंभीर है ऐसा बोलते हुए वह कुटिया के बाहर आ गए।
नौजवानों ने बाहर जाकर देखा की वह शांत खड़े अपनी कुटिया के सामने वाली सड़क को देख रहे थे। कुछ समय के बाद महात्मा ने मुड़कर दोनों नौजवानों से बोला बेटा क्या आप मेरा एक काम करोगे। दोनों युवाओं ने बोला यह तो हमारा सौभाग्य होगा। महात्मा अपनी उंगली से दूर इशारा करते हुए बोले की यह सड़क देखो, जहां यह सड़क मुड़ती है वही सामने एक बड़ा नीम का पेड़ है। जरा मेरे लिए वहां से नीम के कुछ पत्ते तोड़ लाओगे।
महात्मा के कहने पर दोनों नौजवान नीम के पत्ते लेने चले जाते हैं। अभी वह आधी ही दूर गए होते हैं कि बहुत सारे पागल कुत्ते उन्हें घेर लेते हैं और भोंकने लगते हैं। नोजवान बहुत डर जाते हैं लेकिन फिर भी वह हिम्मत करके आगे बढ़ते हैं। कुछ दूर और आगे जाने पर और भी ज्यादा कुत्तों का झुंड उनके पीछे पड़ जाता है। अब अगर वह आगे बढ़ते तो कुत्तों की वजह से उनकी जान भी जा सकती थी दोनों नौजवान वहीं से वापस आ जाते हैं और महात्मा को उन पागल कुत्तों के बारे में बताते हैं।
महात्मा बिना कुछ बोले अब अंदर से अपने शिष्य को बुलाते हैं और उसे नीम के पत्ते तोड़कर लाने के लिए कहते हैं। उसी रास्ते से उनका शिष्य भी उस पेड़ पर जाकर तुरंत ही नीम के पत्ते तोड़कर ला देता है। दोनों हट्टे-कट्टे नौजवान यह देख कर आश्चर्य करने लगते हैं कि इसे कुत्तों ने क्यों नहीं काटा। फिर महात्मा बोले कि जानते हो मेरे शिष्य को आवारा कुत्तों ने क्यों नहीं काटा क्योंकि वह अंधा है। आंखें ना होने की वजह से यह फिजूल की चीजों पर ध्यान नहीं देता और केवल अपने काम से मतलब रखता है।
महात्मा ने आगे कहा कि जीवन में एक बात हमेशा याद रखना बेटा कि जिस फिजूल की चीज पर तुम ज्यादा ध्यान दोगे वह चीज तुम्हें उतनी ही काटेगी इसलिए अच्छा होगा कि तुम अपना ध्यान अपने लक्ष्य पर रखो। दोस्तों हमें भी जीवन में इस बात को फॉलो करना चाहिए। अपने लक्ष्य को इतना महान बना दीजिए कि व्यर्थ के लिए आपके पास समय ही ना बचे।