जीएसटी परिषद उच्च कर वाली 28 प्रतिशत की श्रेणी में आने वाले कुछ जरूरी वस्तुओं की संख्या घटाने पर शुक्रवार को विचार कर सकती है. इसके साथ ही दैनिक उपभोग की वस्तुओं, प्लास्टिक उत्पादों और हस्तनिर्मित फर्नीचर के लिए जीएसटी दर में भी कमी की उम्मीद की जा रही है. जीएसटी में छोटे-छोटे बदलावों के पीछे परिषद की मंशा ग्राहकों को राहत प्रदान करने की है.
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली की अध्यक्षता वाली परिषद इस नई कर प्रणाली के कार्यान्वयन के चार महीने बाद इसकी दरों में सबसे व्यापक फेरबदल पर विचार करने वाली है. इसके तहत रिटर्न फाइल करने को आसान बनाने और लघु एवं मझोले उद्यमों को और राहत प्रदान किए जाने पर विचार किया जा सकता है.
गौरतलब है कि परिषद की दो दिवसीय बैठक गुरुवार को शुरू हुई थी. परिषद की यह 23वीं बैठक है. इसमें असम के वित्त मंत्री हेमंत विश्व शर्मा की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह की एकमुश्त योजना के लिए कर दरों में कटौती के सुझावों पर भी विचार किया जाएगा.
आपको बता दें कि जेटली की अध्यक्षता वाली इस परिषद में राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हैं. देश में जुलाई 2017 से कार्यान्वित जीएसटी के तहत 1200 से अधिक वस्तुओं और सेवाओं को 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत कर की श्रेणी में लाया गया है. विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के कर निर्धारण का आधार पिछले कराधार को बनाया गया है. यानी सभी वस्तुओं और सेवाओं पर कर के भार को लगभग पूर्व के स्तर पर बरकरार रखने के साथ राजस्व संग्रह तटस्थ रखने का प्रयास किया गया है.
जेटली ने पिछले दिनों कहा था कि कुछ वस्तुओं पर 28 प्रतिशत कर की दर नहीं होनी चाहिए और पिछले तीन-चार बैठकों में जीएसटी परिषद ने 100 वस्तुओं पर जीएसटी की दर में कमी की है. इसके तहत कर की दर को 28 प्रतिशत से 18 प्रतिशत और 18 प्रतिशत से 12 प्रतिशत की दर पर लाया गया है.
जेटली ने कहा था, "हम धीरे-धीरे कर की दर को नीचे ला रहे हैं. इसके पीछे विचार यह है कि जैसे आपका राजस्व संग्रह तटस्थ होता है हमें इसमें कमी (उच्च कर दायरे में आने वाली वस्तुओं की संख्या) लानी चाहिए और परिषद अब तक इसी रूप से काम कर रही है."
यहां आपको यह भी बता दें कि जीएसटी के पहले तीन महीने में सरकारी खजाने को कुल मिलाकर 2.78 लाख करोड़ रुपये का संग्रहण आया है.