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Monday, October 23, 2017

संभालना सीख लो, सब कुछ मिलेगा Story On Life Management

साथ ही आपने ऐसे लोगों को भी देखा होगा जो कहते हैं कि “हम बहुत busy हैं, हमारे पास time की बहुत कमी है, बहुत से जरुरी कार्यों के लिए भी हमारे पास समय नहीं है।” लेकिन वह इतना busy रहने के बाद भी सफल (successful) नहीं कहे जा सकते।

जबकि ऐसे भी लोग होते हैं जो उतने ही समय में अपने सभी काम भी करते हैं और समय को बचाकर अन्य जरुरी कार्य भी करते है, कभी समय कम होने का रोना नहीं रोते और वह अपनी लाइफ में सफल भी हैं। ऐसा क्यों होता है?
दोनों प्रकार के लोगों में इतना बड़ा अंतर क्यों है?
ध्यान रखिये यह समस्या हमारी और आपकी ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की समस्या है जिसका उत्तर जानना बहुत जरुरी है।

बहुत से लोग अपने अपने तरीके से इन प्रश्नों के उत्तर देते हैं और इसके पीछे बहुत से कारण बताते हैं। लेकिन यहाँ मैं वह कारण या उत्तर बताने जा रहा हूँ जो मुझे समझ आता है।
आइये इसको समझने के लिए सौरभ की एक प्रेरणादायक कहानी (Motivational Story) को समझते हैं–
उस समय सौरभ क्लास 10th का स्टूडेंट था और उसके पिता की एक अच्छी जॉब थी। सौरभ हमेशा इस बात से परेशान रहता था कि उसके पापा उसे जो Pocket Money देते थे वह तीन सालों से बिलकुल भी नहीं बढ़ी थी जबकि उसके दोस्तों को अपने घर से बहुत सी पॉकेट मनी मिलती थी जो समय के अनुसार बढ़ती रहती थी।

सौरभ ने अपनी माँ से अपनी इस समस्या के बारे में कहा कि आखिर ऐसी क्या वजह है जिसके कारण पापा ने मेरी पॉकेट मनी पिछले तीन सालों से नहीं बढ़ायी है?

तो उसकी माँ बोली, “इसका उत्तर तो तेरे पिता ही दे सकते हैं। चल मैं तेरी उनसे बात करा देती हूँ।”
सौरभ के पिता के सामने यह बात रखी गयी। उसके पिता ने सौरभ की ओर देखा और मुस्कुराते हुए बोले, “जिस दिन तुम अपनी पॉकेट मनी को सही से संभालना सीख जाओगे उसी दिन मैं तुम्हारी पॉकेट मनी को बढ़ा दूँगा।” इतना कहकर उसके पिता वहां से चले गए

अब सौरभ बार बार यही सोच रहा था कि आखिर पापा क्या कहना चाहते हैं औरपॉकेट मनी को सही से संभालना” इसका क्या मतलब है। क्या money रखने के लिए मेरी जेब छोटी है? या मैं ज्यादा पैसे का वजन नहीं उठा सकता? तरह तरह के प्रश्न उसके दिमाग में आ रहे थे।

पापा द्वारा कही लाइन उसके दिमाग में लगातार बनी रही। तीन दिन बाद जब वह स्कूल जाने के लिए अपने स्कूल बैग में किताबें लगा रहा था तो जल्दी जल्दी उसने किताबों को उल्टा सीधा बैग में भर लिया। बैग तो भर गया लेकिन कुछ किताबें अब भी बैग में रखनी थीं।
उसकी माँ यह देख रही थीं। वह सौरभ के पास गयीं और बोली, “क्या मैं तुम्हारी कुछ हेल्प करूँ?” सौरभ बोला, “हाँ! यह किताबें तो बैग में आ ही नहीं रही हैं!”
तब उसकी माँ ने बैग में रखी किताबों को निकालकर उन्हें सही तरीके से लगाया जिससे उस बैग में अब कुछ और किताबों के लिए जगह बन गयी।
अब वह बाकी किताबों जो पहले बैग में नहीं आ रही थीं, को भी बैग में रखते हुए बोलीं, “देखो सौरभ! मान लो यह जो तुम्हारी किताबें हैं वह तुम्हारी पॉकेट मनी की तरह हैं और तुम खुद अपने इस स्कूल बैग की तरह हो। जितनी सही तरीके से और सही जगह अपनी किताबें लगाओगे उतनी और ज्यादा किताबें तुम अपने बैग में रख सकोगे।”

माँ का इतना कहना सौरभ के लिए सफलता का सूत्र (success key) बन गया। सौरभ की आंखें चमकने लगीं। अब उसे अपने पापा की बात पूरी तरह समझ आ चुकी थी।
वह समझ चुका था कि पापा मेरी pocket money इसलिए नहीं बढ़ा रहे हैं क्योंकि मैं अपनी पॉकेट मनी को सही से और सही जगह खर्च नहीं कर रहा हूँ। यदि मैं अपनी present pocket money को सही से manage करना सीख जाऊं तो वह मेरी पॉकेट मनी को बढ़ा देंगे।
उसने तुरंत अपनी पॉकेट मनी को सही तरीके से और सही जगह खर्च करने का फैसला किया। उसने पैसा अपनी इच्छा (want) के हिसाब से नहीं बल्कि वहां खर्च किया जहां जरुरत (need) थी और उतना ही खर्च किया जितनी जरुरत थी।

जितने भी पैसे खर्च (Money spent) हुए, सभी को वह एक डायरी पर लिखता गया।
अब जब अगले महीने की pocket money मिलने का समय आया तो सौरभ की खुशी का ठिकाना न रहा। वह आश्चर्य चकित था अब उसके पास पिछले महीने की पॉकेट मनी से भी पैसे बच गए थे और इस महीने की पूरी पॉकेट मनी भी उसके हाथ में थी।
वह तुरंत अपने पापा के पास आया और बोला, “पापा जी! पापा जी! देखो मैंने अपनी पॉकेट मनी को संभालना सीख लिया है।”

उसने अपनी last month की saving भी दिखाई और इस बार की पॉकेट मनी भी दिखाई
उसके पिता भी बहुत खुश हुए और उन्होंने उसकी पॉकेट मनी तुरंत बढ़ा दी और कहा, “यदि वह सही से अपनी पॉकेट मनी को हर महीने मैनेज करता रहेगा तो आने वाले हर महीने में उसकी पॉकेट मनी में कुछ पैसे में जरूर बढ़ाता रहूँगा।”

सौरभ अब बहुत खुश था। उसे समझ आ गया था कि जिस चीज को हम सही से मैनेज करना सीख लेते हैं वह चीज समय के साथ बढ़ती चली जाती है।
कुछ ही महीनों में सौरभ की saving money इतनी बढ़ गयी कि अब वह उसे कई जगह Invest भी करने लगा। आज सौरभ अपने शहर का एक अच्छा बिजनेसमैन है। वह अमीर है और उसकी अमीरी लगातार बढ़ती जा रही है। लोग उसे एक successful person के रूप में भी जानते हैं।
इस कहानी से आपने क्या सीखा? (Moral of this Hindi Story)

दोस्तों! सौरभ की यह कहानी कोई साधारण कहानी नहीं है बल्कि हम सबके लिए Life Management का एक अच्छा संदेश या सबक (Lesson) भी है।
इस कहानी की Main Theme है कि “जिस चीज को हम सही से संभालना अर्थात मैनेज करना सीख लेते हैं वह चीज समय के साथ लगातार बढ़ती चली जाती है।”
अब वह चाहें money को manage करना हो या time को manage करना हो। चाहें वह आपके social relations हों या अपनी family के लिए आपका प्यार हो। कुछ भी हो, यदि आप चीजों को मैनेज करना सीख गए तो समझ लो आपको कोई सफल होने से नहीं रोक सकता।
Money के बारे में आपकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप अपनी Money को किस तरह manage करते हैं अर्थात किस तरह आप money earn करते हैं, किस तरह money saving करते हैं और किस तरह money investing करते हैं।

अगर इनको आपने मैनेज कर लिया तो आपको Millionaire बनने से कोई नहीं रोक सकता।
यही बात Time पर भी लागू होती है। दुनिया में सभी को एक दिन में 24 घंटे ही मिलते हैं। सफल वही होता है जो Time Management के द्वारा समय को सही से मैनेज करना सीख जाता है।

यहाँ जरुरी बात यह भी है कि हम जिस चीज को भी मैनेज करना सीखें उसको मैनेज करने का तरीका हम खुद सोचें और उसे practically अपनी life में apply करें तो उस चीज को हम बहुत अच्छी तरह सीख पाते हैं।
सौरभ के पापा उसे सीधे सीधे भी Money Management के बारे में समझा सकते थे लेकिन तब सौरभ के बात उतनी अच्छी तरह समझ नहीं आती साथ ही सौरभ की माँ ने उसे कुछ संकेत (clue) भी दिए ताकि वह बात को जल्दी और खुद समझ सके।
यदि हम खुद तो सौरभ माने और God को अपना पिता समझें तो सीधी सी बात यह है कि God हमें उतना ही देता है जितना हम Manage करना जानते हैं और यदि मैनेज करना हमें सीखना हो तो “जीवन की परिस्थितियां” एक माँ के रूप में हमें संकेत भी देती हैं ताकि हम बात को जल्दी समझ सकें।

दोस्तों! आज से और अभी से ही, आओ! हम लोग संकल्प (promise) लेते हैं कि अपनी हर चीज को हम मैनेज करना सीख लेंगे ताकि सफलता के द्वार हमारे लिए खुल जाएं। अतः सही ही कहा गया है–
संभालना सीख लो, सब कुछ मिलेगा।

Learn To Handle, Get Everything.

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Tuesday, October 10, 2017

प्रेरणादायक कहानी - ध्यान अपने लक्ष्य पर रखें

एक छोटे से गांव के पास में एक महात्मा रहते थे और उनके साथ एक उनका शिष्य भी रहता था। महात्मा बहुत दूर-दूर के गांव और शहरों में सबकी परेशानी के समाधान के लिए प्रसिद्ध थे। सभी महात्मा के पास अपनी समस्याओं को लेकर आते थे। एक दिन शहर से दो हट्टे-कट्टे नौजवान उनके पास आए। महात्मा ने देखा कि वह बहुत ही निराश दिख रहे थे। उन्होंने उन दोनों नौजवानों को अपनी कुटिया में आकर बैठने के लिए कहा। अंदर आते ही एक नौजवान बोला महात्मा जी हमने सुना है कि आप हर समस्या का समाधान जानते हैं और आपके पास जो भी समस्या लेकर आता है उसे आप खाली हाथ नहीं लौटाते। हम भी आपके पास बहुत उम्मीद लेकर आए हैं।

महात्मा उन्हें हाथ दिखाकर शांत होने का इशारा करते हैं और अपनी समस्या बताने के लिए कहते हैं। तब एक नौजवान बोल पड़ता है महात्मा जी बात ऐसी है कि हम लोग जिस शहर में रहते हैं वहां के इलाके में बहुत अफरा-तफरी का माहौल है। वहां आवारा लोग आकर बस गए हैं जो सड़क पर गुजरते हुए लोगों से बदतमीजी करते हैं और आते जाते लोगों को गालियां भी देते हैं। कभी-कभी तो हाथापाई भी करते हैं। आप ही बताइए कि ऐसे समाज में कौन रहना चाहेगा। दोनों नौजवानों की बात सुनकर महात्मा जी चारपाई से उठे। यह समस्या बहुत गंभीर है ऐसा बोलते हुए वह कुटिया के बाहर आ गए।

नौजवानों ने बाहर जाकर देखा की वह शांत खड़े अपनी कुटिया के सामने वाली सड़क को देख रहे थे। कुछ समय के बाद महात्मा ने मुड़कर दोनों नौजवानों से बोला बेटा क्या आप मेरा एक काम करोगे। दोनों युवाओं ने बोला यह तो हमारा सौभाग्य होगा। महात्मा अपनी उंगली से दूर इशारा करते हुए बोले की यह सड़क देखो, जहां यह सड़क मुड़ती है वही सामने एक बड़ा नीम का पेड़ है। जरा मेरे लिए वहां से नीम के कुछ पत्ते तोड़ लाओगे।

महात्मा के कहने पर दोनों नौजवान नीम के पत्ते लेने चले जाते हैं। अभी वह आधी ही दूर गए होते हैं कि बहुत सारे पागल कुत्ते उन्हें घेर लेते हैं और भोंकने लगते हैं। नोजवान बहुत डर जाते हैं लेकिन फिर भी वह हिम्मत करके आगे बढ़ते हैं। कुछ दूर और आगे जाने पर और भी ज्यादा कुत्तों का झुंड उनके पीछे पड़ जाता है। अब अगर वह आगे बढ़ते तो कुत्तों की वजह से उनकी जान भी जा सकती थी दोनों नौजवान वहीं से वापस आ जाते हैं और महात्मा को उन पागल कुत्तों के बारे में बताते हैं।

महात्मा बिना कुछ बोले अब अंदर से अपने शिष्य को बुलाते हैं और उसे नीम के पत्ते तोड़कर लाने के लिए कहते हैं। उसी रास्ते से उनका शिष्य भी उस पेड़ पर जाकर तुरंत ही नीम के पत्ते तोड़कर ला देता है। दोनों हट्टे-कट्टे नौजवान यह देख कर आश्चर्य करने लगते हैं कि इसे कुत्तों ने क्यों नहीं काटा। फिर महात्मा बोले कि जानते हो मेरे शिष्य को आवारा कुत्तों ने क्यों नहीं काटा क्योंकि वह अंधा है। आंखें ना होने की वजह से यह फिजूल की चीजों पर ध्यान नहीं देता और केवल अपने काम से मतलब रखता है।

महात्मा ने आगे कहा कि जीवन में एक बात हमेशा याद रखना बेटा कि जिस फिजूल की चीज पर तुम ज्यादा ध्यान दोगे वह चीज तुम्हें उतनी ही काटेगी इसलिए अच्छा होगा कि तुम अपना ध्यान अपने लक्ष्य पर रखो। दोस्तों हमें भी जीवन में इस बात को फॉलो करना चाहिए। अपने लक्ष्य को इतना महान बना दीजिए कि व्यर्थ के लिए आपके पास समय ही ना बचे।

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